एक अफवाह से सुलग उठा संभल

सर्वे के दौरान मस्जिद में खोदाई होने की फैलाई गयी अफवाह

जिसके बाद उग्र हुई भीड़ के सामने बेबस दिखी पुलिस

भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने किया लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले दागे बावजूद इसके भीड़ को नियंत्रित नहीं कर सकी पुलिस

संभल। कोर्ट के आदेश पर जब रविवार को दूसरी बार शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने टीम पहुची। तो शाही जामा मस्जिद के आसपास के मोहल्लों में लोगों की संख्या नाममात्र थी। ज्यादातर लोग अपने अपने घरों में थे। तभी किसी ने यह अफवाह फैला दी कि मस्जिद का सर्वे करने वाली टीम मस्जिद के अंदर खोदाई कर रही है। इसके बाद भीड़ जुटने लगी और देखते ही देखते लोग मस्जिद के बाहर तैनात पुलिसकर्मियों से भिड़ गए। इस एक अफवाह की चिंगारी ऐसी भड़की कि हजारों की संख्या में लोग जामा मस्जिद के बाहर जुट गए। साढ़े सात बजे शुरू हुआ सर्वे और साढ़े आठ बजे तक भीड़ बेकाबू हो गई। भीड़ मस्जिद में घुसने का प्रयास करने लगी। पुलिस टीम ने भीड़ को रोका तो लोगों ने मस्जिद को घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया। सड़क के साथ ही घरों की छतों से भी पुलिस पर पत्थर बरसने लगे। पथराव में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए। हालात बिगडते देख पुलिस ने भीड़ को काबू करने के लिए लाठियां फटकारी और आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद भी भीड़ नियंत्रित नहीं हो सकी। हलांकि लोगों का आरोप है कि पुलिस की ओर से भी फायरिंग की गई। जिसके बाद करीब नौ बजे पुलिस ने घेराबंदी कर सर्वे टीम को मस्जिद से बाहर निकालकर थाने तक सुरक्षित पहुचाया। बवाल की सूचना पर शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के थानों और दूसरे जनपदों की फोर्स भी बुला ली गई। जिसके बाद भारी पुलिस फोर्स ने करीब दस बजे के आसपास पुलिस पथराव करने वालों को खदेड़ने में कामयाब हुयी। पथराव और फायरिंग के बीच तीन लोगों की जान चली गई। इस घटना में संभल एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई समेत कई पुलिसकर्मी और अन्य लोग घायल भी हो गए। घटना के बाद पूरे शहर में सन्नाटा पसर गया है। जामा मस्जिद के बाहर मामला शांत होने के बाद भी शहर के अन्य हिस्सों में हंगामा और पथराव की घटनाएं सामने आईं है। इसके कारण शहर के सभी बाजार बंद हो गए। देर रात तक शहर की सड़कों पर पुलिस के वाहन ही दौड़ते रहे।

शाही जामा मस्जिद को लेकर क्या है विवाद

हिंदू पक्ष ने संभल के चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दावा पेश किया है। हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर पृथ्वीराज चौहान के शासन से पहले बना था। जबकि मस्जिद मुगलकाल में मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद टीले पर बनी है। किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई है। 19 नवंबर को हिंदू पक्ष द्वारा दावा पेश करने के दिन ही न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिया। उसी दिन कोर्ट कमिश्नर ने मस्जिद पहुंचकर सर्वे भी किया था। करीब दो घंटे तक वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई थी। कोर्ट कमिश्नर 29 नवंबर को न्यायालय में रिपोर्ट पेश करेंगे। सर्वे के बाद से जामा मस्जिद के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। जुमे की नमाज के दौरान शहर को छावनी में तब्दील कर दिया था, जिससे शांतिपूर्वक नमाज अदा हुई। रविवार की सुबह कोर्ट कमिश्नर दोबारा सर्वे करने पहुंचे तो बवाल शुरू हो गया। फिलहाल अभी स्थित सामान्य बतायी जा रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *