प्यार में हार नही हुई मजहब की दीवार ने एक होने नही दिया
घटना सहारनपुर की है जहां एक युवती के प्यार में युवक ने फांसी लगा ली।
लखनऊ। सहारनपुर की घटना है जहाँ समरेज और उसकी हिन्दू प्रेमिका की मोहब्बत मजहब की दीवार नहीं तोड़ पाई। कई सालों का प्यार, लेकिन समाज के डर और लोकलाज ने एक नौजवान की जान ले ली। पंचायत, पिटाई, ताने, जबरन रिश्ता — और फिर एक पेड़ की डाल पर टंगा दुपट्टा…
जिसे वो हर रोज़ देखता था — उसी दुपट्टे से आज उसने अपनी ज़िंदगी खत्म कर ली।
प्यार में हार नहीं हुई थी, समाज ने हरवा दिया।
लड़की रोती रही, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
15 दिन पहले दोनों को लड़की के परिजनों ने एक साथ देख लिया। फिर क्या था गांव में पंचायत हुई। जिसमें गांव वालों ने प्रेमी समरेज की पिटाई कर दी और दुबारा गांव में न दिखने की हिदायत देखकर छोड़ दिया। इस घटना के बाद लड़की के घर वालो ने उसकी शादी तय कर दी और सगाई भी कर दी। जिसके बाद दोनो एक बार फिर मिले समरेज प्रेमिका के साथ भागकर शादी करना चाहता था। मगर प्रेमिका ने लोक लाज के डर से उसको मना कर दिया। वह जब अपने घर जाने लगी तो समरेज उसका टुपट्टा छीनकर भाग गया और एक पेड़ पर चढ़कर टुपट्टे का फंदा बनाकर अपने गले में डाल लिया प्रेमिका कुछ समझ पाती उससे पहले समरेज फांसी के फंदे पर झूल रहा था। जिसके बाद प्रेमिका ने टुपट्टा फाड़कर समरेज को नीचे उतारा मगर तब तक समरेज की सांसें खत्म हो चुकी थी। पुलिस के आने पर वह प्रेमिका समरेज के शव से लिपट कर रो रही थी
इस तरह की घटनाये इतनी तेजी से बढ़ रही है। मै युवाओ को इस विडियो के माध्यम से यह बताना चाहती हूँ की….
• प्यार में जान देना बहादुरी नहीं, मजबूरी होती है। लेकिन जिंदा रहकर समाज को बदलना बहादुरी है।
• जिंदगी की कीमत जान से ज्यादा है — एक इनकार, एक बाधा से जिंदगी खत्म नहीं होती।
• अगर दुनिया साथ ना दे, तो आवाज़ उठाओ, मदद लो। चुप रहना या खुद को खत्म करना, समाधान नहीं है।
• मजहब, जाति, पंचायत — ये सब तब तक ताकतवर हैं जब तक हम चुप हैं। बदलना है तो जिंदा रहना पड़ेगा।
• याद रखो — प्यार में हार तब होती है जब हम लड़ना छोड़ देते हैं, ना कि जब समाज कुछ कहता है।
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