“17 साल बाद इंसाफ की दस्तक – तहव्वुर राणा से NIA की पूछताछ शुरू

17 साल बाद भारत की सरज़मीं पर एक नाम फिर गूंज रहा है – तहव्वुर हुसैन राणा! वही शख्स जिसे 26/11 मुंबई हमलों की साजिश का ‘मास्टरमाइंड पार्टनर’ कहा जाता है। आज जब वो एनआईए की गिरफ्त में है, तो सवाल सिर्फ एक है – क्या अब इंसाफ अपने मुकाम तक पहुंचेगा?
आइए, इस पूरे मामले को step-by-step समझते हैं…
तहव्वुर हुसैन राणा, पाकिस्तान मूल का कनाडाई नागरिक है। वो एक समय डेविड कोलमैन हेडली का सबसे करीबी साथी हुआ करता था। हेडली वही है जिसने 26/11 हमलों से पहले भारत में रेकी की थी और पूरी हमले की नींव तैयार की थी।
और यहीं से तहव्वुर राणा की भूमिका शुरू होती है। अमेरिकी जांच एजेंसियों के मुताबिक, हमले से पहले हेडली ने राणा को एक ईमेल भेजा था। उसमें लिखा था – “मुंबई हमले के लिए किन चीज़ों की ज़रूरत है, पैसा कितना लगेगा और कौन-कौन इसमें शामिल है।”
उस ईमेल में इलियास कश्मीरी और अब्दुर रहमान जैसे आतंकियों के नाम भी थे। मतलब साफ था – ये कोई छोटा-मोटा आतंकी प्लान नहीं, बल्कि एक इंटरनेशनल आतंकी गठजोड़ का खौफनाक हिस्सा था।
एनआईए के पास ये ईमेल अब सबसे बड़ा हथियार है, जो राणा की साजिश में सीधी भागीदारी को साबित करता है।
17 सालों तक अमेरिका में बंदी रहने के बाद 10 अप्रैल 2025 को आखिरकार तहव्वुर राणा को भारत लाया गया। एनएसजी और एनआईए की टीम अमेरिका के लॉस एंजेलिस से एक खास विमान में उसे लेकर आई।
सुरक्षा का लेवल इतना हाई था, कि उस विमान के लिए एक फेक कोड तैयार किया गया ताकि फ्लाइट ट्रैक न हो सके। यहां तक कि PMO की पल-पल उस फ्लाइट पर नज़र थी।
10 अप्रैल की रात, राणा को सीधे दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया। एनआईए ने 30 दिन की रिमांड मांगी लेकिन कोर्ट ने 18 दिन की हिरासत मंजूर की।
अब 11 अप्रैल से राणा से रोजाना पूछताछ होगी – और पूछताछ भी आम नहीं – CCTV कैमरे के सामने, SP और DSP लेवल के अफसरों द्वारा।
एनआईए अब तह तक जाएगी – और उससे पूछे जाएंगे ये खौफनाक सवाल
• 26/11 की साजिश में उसका रोल क्या था?
• हेडली से कितनी मीटिंग्स हुई थीं?
• ईमेल के पीछे असली मास्टरप्लान क्या था?
• पाकिस्तान की ISI या अन्य आतंकी संगठनों से सीधा कनेक्शन था या नहीं?
• मनी ट्रेल – यानी हमले में पैसे कहां से आए, किसने दिए?
राणा का डिस्क्लोजर स्टेटमेंट केस डायरी में रिकॉर्ड किया जाएगा, ताकि कोर्ट में उसका इस्तेमाल हो सके।
मुंबई हमले में 175 लोग मारे गए थे, 300 से ज्यादा घायल हुए। वो रात आज भी लोगों को रुला देती है। लेकिन आज 17 साल बाद जब एक बड़ा चेहरा भारत की गिरफ्त में है, तो लोगों की आंखों में इंसाफ की एक नई उम्मीद जगी है।
बहरहाल इस प्रत्यर्पण के साथ भारत के मोदी सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है — आतंक के खिलाफ उसकी लड़ाई सिर्फ सीमा पर नहीं, हर मोर्चे पर जारी है। ये सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं… ये उन शहीदों को नमन है जिन्होंने 26/11 को देश की रक्षा में प्राण न्योछावर कर दिए थे। तहव्वुर राणा अब भारत में है — और कानून अब उससे हर सवाल पूछेगा, हर जवाब निकालेगा। अगर आपको ये खबर पसंद आई हो तो इसे लाइक करे चैनल को सब्सक्राइब करे !
