52 दिन 46 लाख खर्च फिर भी पिजड़े में नही गया बाघ

मलिहाबाद के जंगलों में घूम रहे बाघ को पकड़ने के लिए दो हथिनी और 80 कर्मचारियों की टीम तैनात, सफलता नही

लखनऊ। मलिहाबाद फलपट्टी क्षेत्र में आम के पेड़ों पर छिड़काव का सीजन शुरू हो गया है। मगर बाघ है कि जाने का नाम नही ले रहा है। बाघ के डर से बागवानी का काम प्रभावित हो रहा है। क्षेत्र में पिछले 52 दिनों से बाघ की वजह से दहशत का माहौल है। बच्चे स्कूल नहीं जा रहे है और ग्रामीण बड़े गुट में निकल रहे हैं। बाघ इतना चतुर है कि उसे पकड़ने के लिए अपनाएं जा रहे वन विभाग के सारे पैंतरो को फेल कर रहा है। बाघ पकड़ने के लिए वन विभाग भारी भरकम टीम तथा दो हथिनी अभी तक सिर्फ बाघ के पंजे ही ढूंढ सकी है। जबकि अब तक करीब 46 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं। दो हथिनी ही पिछले 20 दिनों में दो लाख रुपये का खाना खा चुकी है।

बाघ पकड़ने के लिए शासन से मांगे 20 लाख रुपये

बता दें कि 2 दिसम्बर 2024 को मलिहाबाद के रहमान खेड़ा में बाघ ने दस्तक दी थी इसके बाद आस पास के करीब 12 गांव के लोग घर में दुबक गए वन विभाग लखनऊ की टीम ने इस इलाके में कॉम्बिग की और शुरुआती तौर पर कुछ इलाकों में जाल लगाकर बाघ को रोकने का प्रयास किया लेकिन बाघ ने अपना दायरा बढ़ा लिया इसके बाद वन विभाग की टीम बढ़ाई गई और आस पास जिलों के 80 अफसर कर्मचारियों ने ऑपरेशन बाघ शुरू किया ऑपरेशन शुरू किये 52 दिन बीत चुके हैं और अब तक टीम सिर्फ बाघ को कैमरे में ही कैद कर सकी है अब तक 46 लाख रुपये खर्च हो गए हैं जिसके बाद शासन से 20 लाख रुपये की और मांग की गई है

बाघ को पकड़ने के लिए 80 कर्मचारियों की फोर्स

रहमान खेड़ा के जंगलों में आराम से घूम रहे बाघ को पकड़ने के लिए 80 वन विभाग के अफसर और कर्मचारी तैनात है इसके अलावा कानपुर जू और दूधवा से एक्सपर्ट टीम भी मौजूद हैं एक प्लाटून पीएसी और पुलिस बल भी तैनात किया गया है इसके अलावा टेक्निकल फोर्स जंगल में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों पर नजर रख रही है बाघ को पकड़ने के लिए एक्सपर्ट टीम बुलाई गई है, इसके अलावा जंगलों में सीसीटीवी कैमरे भी इंस्टाल किये गए है इनमे बजट खर्च हो रहा है इसके अलावा बाघ को पकड़ने के लिए पड़वे (भैंस के बच्चे) रखे जाते हैं, जिन्हें वन विभाग की टीम 15 से 30 हजार रुपये के खरीदता है अब तक पांच पड़वे बाघ मार चुका है 80 अफसर और कर्मचारी व एक प्लाटून पीएसी भी इस ऑपरेशन में लगे हुए है, जिन पर बजट खर्च हो रहे है

8 हजार का खाना रोज खा रहीं दोनों हथिनी

52 दिनों से दहसत बन चुके बाघ को पकड़ने के लिए सिर्फ वन विभाग के कर्मचारी और एक्सपर्ट ही नही बल्कि दो हथिनी भी इस ऑपरेशन का हिस्सा बनी हुई है इन हथिनी पर भी वन विभाग पानी की तरह पैसा बहा रही है, बावजूद इसके अब तक बाघ पकड़ने में सफलता नही मिल सकी है 20 दिनों से रेस्क्यू में लगी सुलोचना और डायना हथिनी पर अब तक दो लाख खर्च हो चुका है दोनों हथिनी खुराख प्रति दिन करीब 8 हजार रुपये है जिसमे वो 4 कुंतल गन्ना, एक किलो गुड़, दस किलो चावल, सोयाबीन और सरसों का तेल दिया जाता है दरअसल, आम तौर पर हथिनी इतनी खुराख नहीं खाती है, लेकिन किसी ऑपरेशन के दौरान उन्हें खुराक अधिक दी जाती है

रात का कोहरा बन रहा ऑपरेशन में बाधा
डीएफओ सितांशु पाण्डेय ने बताया कि बाघ को पकड़ने के ऑपरेशन में हमारा दुश्मन और बाघ का दोस्त कोहरा बन रहा है बाघ को जंगल में शिकार के लिए जानवर मिल रहे हैं नहर भी है तो उसे आसानी से पानी भी मिल रहा है ऐसे में प्रकृति के हिसाब से उसे जो मिलना चाहिए वो मिल रहा है इसी वजह से बाघ आराम से जंगल में टहल रहा है बाघ की यही सब साहूलियतें हमारे लिए समस्या पैदा कर रही हैं डीएफओ ने बताया कि बाघ देर रात व सुबह तड़के ही टहलने निकालता है जिस कारण टीम को दिख ही नहीं रहा है ऐसे में बाघ संरक्षण नियमावली के तहत ट्रेंक्यूलाइज नहीं कर सकते हैं उन्होंने बताया कि ट्रेंक्यूलाइज करने के 45 मिनट के अंदर ही हमें बाघ को पकड़ना पड़ता है, ऐसे में कोहरे में यह संभव नही हैं क्योंकि ट्रेंक्यूलाइज करने पर बाघ भागेगा और यदि वह अंधेरे में गहरे पानी में चला गया तो उसकी मौत हो सकती है

2014 में 108 दिन बाघ ने किया था परेशान

बता दें कि वर्ष 2013 में भी इसी इलाके में बाघ ने दहशत फैलाई थी. करीब 20 गावों में लोग दहशत में जी रहे थे जिसके बाद वन विभाग की टीम ने काफी दांव पेंच खेले थे लेकिन बाघ लगातार अपना दायरा बढ़ाता जा रहा था. करीब 108 दिन बाद बाघ को पकड़ा जा सका था

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