सरकारी नौकरी के लिए पति की हत्या

सरकारी नौकरी के लिए पति की हत्या

बिजनौर की शांत गलियों में जब रेलवे कर्मचारी दीपक कुमार की अचानक मौत की खबर फैली, तो हर कोई हैरान रह गया। शिवानी, उसकी पत्नी, रोते हुए कह रही थी — “दिल का दौरा पड़ गया था, भगवान ने छीन लिया…” लेकिन हकीकत कुछ और ही थी।


पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने सच्चाई का पर्दाफाश कर दिया — दीपक की मौत हार्ट अटैक से नहीं, बल्कि गला घोंटकर हत्या से हुई थी। और आरोप सीधा उसकी पत्नी शिवानी पर था।
17 जून 2023, जिस दिन शिवानी और दीपक ने प्रेम विवाह किया था, उस दिन उन्होंने साथ जीने-मरने की कसमें खाई थीं। मगर क्या शिवानी का प्यार सिर्फ सरकारी नौकरी पाने का ज़रिया था? दीपक आदर्श नगर में अपनी पत्नी शिवानी और 6 महीने के बच्चे के साथ रहता था। 4 अप्रैल की दोपहर शिवानी ने अपने देवर पीयूष को फोन किया। उसने बताया कि उनके भाई को दिल का दौरा पड़ा है। हम उन्हें अस्पताल ले जा रहे हैं। लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आते ही ये साफ हो गया की हार्ट अटैक आने से नही बल्कि गला घोटने से दीपक की हत्या हुई है!
परिवारवालों का कहना है कि शिवानी की नजर मृतक आश्रित कोटे से मिलने वाली सरकारी नौकरी पर थी। दीपक की मौत के बाद वही सबसे पहला आवेदन लेकर सरकारी दफ्तर पहुंची थी। सवाल उठता है — क्या ये पहले से तय साजिश थी?
यह मामला मेरठ की मुस्कान रस्तोगी की कहानी से मेल खाता है, जिसने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर अपने पति को मौत के घाट उतार दिया था। क्या अब प्रेम का मतलब लालच और स्वार्थ बनता जा रहा है?
यह कोई पहली घटना नहीं थी।
• अगस्त 2024, बिजनौर: एक महिला ने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या के लिए ₹1 लाख की सुपारी दी थी।
• नवंबर 2024, शक और अविश्वास की आग में जलकर एक पति ने अपनी पत्नी को चाकू से गोद दिया।
इन घटनाओं से एक बात साफ है — रिश्तों में अब वो भरोसा नहीं रहा, वो नैतिकता नहीं रही, जो एक परिवार को जोड़कर रखती थी।
शिवानी का चेहरा जब कैमरे में दिखा, तो उसमें न शर्म थी, न पछतावा!
क्या अब सरकारी नौकरी पाने के लिए हत्या एक साधन बन चुकी है? क्या अब रिश्ते भी एक इन्वेस्टमेंट हो गए हैं?
समाज को अब खुद से सवाल पूछने की ज़रूरत है —
“कौन है असली हत्यारा? इंसान… या उसका लालच?”

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